RSS प्रमुख मोहन भागवत का धार्मिक विवादों के बीच एकता और सद्भाव का संदेश
"Unity Amidst Religious Disputes: RSS Chief Mohan Bhagwat’s Vision for India"
हाल ही में पुणे में RSS प्रमुख मोहन भागवत ने धार्मिक स्थलों पर बढ़ते विवादों की आलोचना की और भारत में एकता और भाईचारे की जरूरत पर जोर दिया। "विश्वगुरु भारत" विषय पर एक व्याख्यान के दौरान भागवत ने उत्तर प्रदेश के साम्भल में शाही जामा मस्जिद और अजमेर शरीफ दरगाह जैसे धार्मिक स्थलों को लेकर उठ रहे विवादों पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ऐसे मुद्दे नफरत के कारण नहीं उठाए जाने चाहिए।
भागवत ने यह भी कहा कि राम मंदिर का मुद्दा हिंदुओं के लिए आस्था का विषय था, लेकिन उन्होंने यह चेतावनी दी कि किसी अन्य धार्मिक स्थल पर इसी तरह के विवादों को नफरत और शत्रुता के आधार पर उठाना गलत है। उनके अनुसार, भारत को एकता और सद्भाव का उदाहरण बनाना चाहिए, जहां विभिन्न धर्मों और विचारों के लोग मिलजुल कर शांति से रह सकें।
भागवत के अनुसार, समाज में शांति बनाए रखने के लिए हमें प्राचीन भारतीय संस्कृति को अपनाना होगा। उन्होंने कहा कि उग्रवाद, आक्रामकता और दूसरों के धर्म का अपमान भारतीय संस्कृति का हिस्सा नहीं हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत में कोई बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक नहीं है, बल्कि हम सब एक हैं। सभी को अपनी आस्था के अनुसार पूजा करने का अधिकार मिलना चाहिए और यह अधिकार सम्मान के साथ दिया जाना चाहिए।
RSS प्रमुख का संदेश साफ था—भारत को एक ऐसा समाज बनाना चाहिए, जहाँ सभी अपने विश्वासों को बिना डर और पूर्वाग्रह के फॉलो कर सकें और एकता और भाईचारे के साथ हम एक समान और खुशहाल समाज की ओर बढ़ें।
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