सफला एकादशी व्रत कथा 2024: श्रीहरि की कृपा पाने के लिए पढ़ें यह कथा
सफला एकादशी व्रत कथा 2024: श्रीहरि की कृपा पाने के लिए पढ़ें यह कथा
सफला एकादशी, जो पौष माह के कृष्ण पक्ष में आती है, भगवान विष्णु की उपासना के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण मानी जाती है। यह व्रत न केवल पापों का नाश करता है बल्कि सुख, समृद्धि और आध्यात्मिक उन्नति का मार्ग भी प्रशस्त करता है।
यदि आप 2024 की सफला एकादशी का व्रत करने की योजना बना रहे हैं, तो पूजा के दौरान सफला एकादशी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें। इस कथा का पाठ किए बिना व्रत अधूरा माना जाता है।
सफला एकादशी 2024 कब है?
इस वर्ष सफला एकादशी का व्रत 26 दिसंबर 2024, गुरुवार को रखा जाएगा। व्रत करने के बाद अगले दिन, यानी द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करना चाहिए। इस दिन अन्न और धन का दान करना भी अत्यंत शुभ माना जाता है।
सफला एकादशी का महत्व
भगवान विष्णु की आराधना के लिए यह दिन सर्वोत्तम है। मान्यता है कि सफला एकादशी का व्रत करने और व्रत कथा पढ़ने से मनुष्य के समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं। यह व्रत न केवल आध्यात्मिक उन्नति देता है, बल्कि जीवन में समृद्धि और शांति भी लाता है।
सफला एकादशी व्रत कथा
पुराणों के अनुसार, प्राचीन समय में चंपावती नामक नगर में महिष्मान नाम के एक राजा का शासन था। राजा के चार पुत्र थे, जिनमें उसका सबसे बड़ा बेटा लुम्पक अत्यंत दुष्ट और पापी था। वह देवी-देवताओं का अपमान करता और पापकर्मों में लिप्त रहता था।
राजा महिष्मान अपने पुत्र लुम्पक के व्यवहार से परेशान था। अंततः उसने लुम्पक को नगर से बाहर निकाल दिया। लुम्पक जंगल में रहने लगा और अपना जीवन व्यतीत करने के लिए शिकार करने लगा।
एकादशी के दिन का चमत्कार
एक बार ऐसा हुआ कि एकादशी तिथि के दिन लुम्पक को कई दिनों तक भोजन नहीं मिला। भूख से व्याकुल होकर वह एक पीपल के पेड़ के नीचे बैठ गया, जो भगवान विष्णु का पवित्र प्रतीक माना जाता है। उस दिन उसने अनजाने में कोई भी पापकर्म नहीं किया। यह भगवान विष्णु के प्रति उसकी अनजाने में की गई भक्ति का प्रमाण था।
कुछ समय बाद लुम्पक ने एक संत को देखा, जो उसकी दुर्दशा देखकर दयालुता से पेश आए। संत ने उसे भोजन और शरण दी। संत के इस व्यवहार ने लुम्पक के मन में सकारात्मक बदलाव लाना शुरू कर दिया।
संत ने लुम्पक को एकादशी व्रत करने का महत्व बताया। लुम्पक ने उनके निर्देश का पालन किया। धीरे-धीरे उसके जीवन में बदलाव आने लगा। अंततः संत ने अपना वास्तविक रूप प्रकट किया। वह और कोई नहीं, बल्कि स्वयं उसके पिता राजा महिष्मान थे, जो अपने पुत्र को सुधारने के लिए साधु का रूप धारण किए हुए थे।
लुम्पक ने अपनी गलतियों को स्वीकार किया और भगवान विष्णु की भक्ति में लीन हो गया। उसने व्रत करना शुरू किया और राजा के रूप में अपने कर्तव्यों का पालन करते हुए एक आदर्श जीवन जिया।
सफला एकादशी व्रत की विधि
- सवेरे जल्दी उठें: स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें।
- भगवान विष्णु की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें: पूजा के लिए एक पवित्र स्थान चुनें।
- पूजा सामग्री: फल, तुलसी के पत्ते, दीपक, अगरबत्ती और मिठाई चढ़ाएं।
- भगवान विष्णु की आरती करें: "ओम नमो भगवते वासुदेवाय" मंत्र का जाप करें।
- व्रत कथा का पाठ करें: सफला एकादशी की कथा सुनना या पढ़ना अत्यंत आवश्यक है।
- उपवास रखें: व्रत के दौरान अन्न का त्याग करें। फलाहार या जल ग्रहण कर सकते हैं।
- पारण करें: द्वादशी तिथि पर व्रत तोड़ें और जरूरतमंदों को दान करें।
सफला एकादशी व्रत के लाभ
- सभी पापों से मुक्ति।
- जीवन में सुख और शांति।
- भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की कृपा प्राप्ति।
- व्यापार और नौकरी में सफलता।
- परिवार में समृद्धि और खुशहाली।
Comments
Post a Comment